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कच्चे रास्ते (भाग ५) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग ५) साप्ताहिक धारावाहिक

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हाथ में मोबाइल पकड़े हुए काव्या काफी देर तक शालिनी के सामने चुपचाप खड़ी रही । शालिनी काव्या और अनय के बीच हुई बातें सुन चुकी थी और उसने अपने और मनीष के बारें में काव्या के मुँह से जो सुना उसके बाद वो काव्या से नजरे नहीं मिला पा रही थी । काव्या बार बार शालिनी की तरफ देख रही थी लेकिन शालिनी काव्या से नजरें नहीं मिला पा रही ।

काव्या ने एक बार फिर से शालिनी की तरफ देखा और फिर चुपचाप हॉल में चली गई । हॉल में आकर वो सोफे पर सिर पर हाथ रखकर बैठ गई । काव्या के वहाँ से जाते ही शालिनी अन्दर बैड रूम में चली गई और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया । सोफे पर बैठे बैठे काव्या रोने को हो आई । उसकी आँखों से आँसू बहने लगे । अनय के साथ कल बितायें कुछ पल उसे याद आने लगे और वो अचानक ही जोर-जोर से रोने लगी । काफी देर तक वो इसी तरह रोती रही । तभी उसे शालिनी का ख्याल आया । उसने अपने आँसू पोंछे और बैड रूम की तरफ दौड़ी । बैड रूम का दरवाजा अभी भी अन्दर से बंद था । उसने बैड रूम का दरवाजा खटखटाया । शालिनी ने दरवाजा नहीं खोला तो घबराकर काव्या ने एक बार फिर से जोर से दरवाजे को धक्का मारा । शालिनी दरवाजा नहीं खोल रही थी । शालिनी के कुछ भी न बोलने से काव्या घबराहट के मारे बार बार लगातार दरवाजा खटखटाये जा रही थी ।

आखिरकार हारकर वो जोर से चीखी, “मम्मी, दरवाजा खोलो । मुझे बहुत डर लग रहा है।”

शालिनी ने अब भी दरवाजा नहीं खोला तो काव्या दरवाजे के पास बैठकर रोने लगी । शायद उसके रोने की आवाज सुनकर शालिनी ने अचानक से दरवाजा खोला और बैड रूम से बाहर आ गई ।

काव्या अपनी जगह से खड़ी हो गई और शालिनी से लिपटकर रोने लगी । शालिनी ने काव्या की इस हरकत पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । वो इस तरह खड़ी रही जैसे मोम की कोई बेजान पुतली हो ।

कुछ देर तक जी भरकर रो लेने के बाद काव्या हिचकियाँ खाती हुई चुप हो गई । शालिनी का हाथ पकड़कर वो बैड रूम के अन्दर आ गई और बैड पर उसके साथ बैठ गई ।
काव्या काफी देर तक शालिनी के चेहरे को देखती रही । शालिनी का ध्यान काव्या पर न होकर कहीं और था । वो लगातार खिड़की की तरफ देखकर कुछ सोच रही थी । तभी काव्या ने शालिनी का हाथ अपने हाथ में लिया और उसकी हथेली जोर से दबाई । अब शालिनी ने खिड़की से अपना ध्यान हटाकर काव्या की तरफ देखा ।

काव्याशालिनी के और पास आ गई और बोली, “मुझे माफ कर दो मम्मी ।”

काव्या की बात सुनकर शालिनी के चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान आ गई । वो धीरे से बोली, “तू किस बात के लिए माफी मांग रही है ? सारी गलती तो मेरी है ।”

शालिनी का उदास स्वर सुनकर काव्या कहने लगी, “आपने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ सहन किया है । मुझे आपकी पर्सनल लाइफ में दखल नहीं देना चाहिए था ।”

काव्या की बात सुनकर शालिनी एक बार फिर से धीरे से हँस दी और कहने लगी, “मैं सारी जिन्दगी डर डरकर ही रही हूँ । तू मेरे पेट में थी तब से अकेली रही हूँ । लेकिन किसी के आगे कभी भी किसी तरह का समझौता नहीं किया । लोगों के घर जाकर कपड़ा, बर्तन, पोंछा सबकुछ किया और तुझे पाला । बहुत सी छोटी-मोटी नौकरी भी की । तू सात साल की रही होगी जब मनीष जी से मुलाकात हुई । उनका बेटा रूद्रांश तब दस साल का था जब उनकी पत्नी की मौत हुई थी । उस समय उनकी डिस्पेंसरी सेन्ट्रल मॉल के पीछे वाले भाग में थी । मॉल में नौकरी जाने से पहले मैं सुबह उनके यहाँ खाना बनाने जाया करती थी ।”

शालिनी की बात सुनते हुए काव्या ने उसे टोका, “लेकिन आप ये सब मुझे क्यों बता रही है मम्मी ? अब मुझे कुछ नहीं जानना आपके भूतकाल के बारें में । आप जैसी भी है मेरी प्यारी सी मम्मा है ।”

काव्या का प्यारा सा जवाब सुनकर शालिनी अपनी जगह से खड़ी हो गई और खिड़की के पास जाकर खड़ी होकर आगे बोलने लगी, “नहीं, तुझे अब सबकुछ जानना जरूरी है ताकि तू मेरे और मनीष जी के बारें कुछ गलत न सोचे । मनीष जी अपनी पत्नी की मौत के बाद दूसरी शादी कर अपनी पत्नी का अपमान नहीं करना चाहते थे । वो उसे बहुत प्यार करते थे । उस वक्त तक हमारे बीच ऐसा वैसा कुछ नहीं था और आगे भी सबकुछ ऐसे ही ठीकठाक ही चल रहा होता लेकिन एक दिन रुद्रांश अचानक से बहुत बीमार पड़ गया । मनीष जी ने खुद डॉक्टर होने के नाते पहले घर पर ही उसका इलाज शुरू किया लेकिन उसे उनकी दी गई दवाईयों से कोई फर्क नहीं पड़ा और दो दिनों में ही बिचारा बच्चा सूख कर काँटा हो गया । मनीष जी की तो छोटी सी डिस्पेंसरी थी और अब रुद्रांश को किसी अच्छे अस्पताल में दाखिल करवाना जरूरी था । उन्होंने उसे अपने एक दोस्त के अस्पताल में दाखिल करवा दिया । रुद्रांश को अच्छे इलाज के साथ माँ के दुलार की भी बहुत जरूरत थी उस वक्त । मैंने उसे वो सबकुछ दिया जो एक बच्चा बीमारी के वक्त अपनी माँ से चाहता है। इसी परेशानी के वक्त मनीष जी को अपनी पत्नी बहुत याद आई और जब उस दिन मैं उनका टिफिन लेकर अस्पताल पहुँची तो वो मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे । रुद्रांश जल्दी ही ठीक होकर घर भी आ गया और फिर उसके बाद न जाने कैसे मैं भावनात्मक रूप से मनीष जी के साथ एक अजीब तरह का जुड़ाव महसूस करने लगी । बात भावनाओं से लेकर कब और कैसे शारीरिक संबंधों तक पहुँच गई इसका जवाब ना तो मेरे पास है और ना ही मनीष जी के पास । बी. बी. ए. कर आज तू अच्छी नौकरी कर रही है इसके पीछे मनीष जी का बहुत बड़ा हाथ है वरना मेरी तो इतनी हैसियत ही कहाँ थी कि तेरे बारहवीं पास करने के बाद तुझे आगे पढ़ा सकती ।”

शालिनी अपनी बात कहकर चुपचाप खिड़की के पास खड़ी रही और बाहर दूर खुले आसमान को देखने लगी । काव्या बैड पर बैठे हुए समझ नहीं पा रही थी कि अपनी मम्मी की इस बात पर क्या प्रतिक्रिया दे । काफी देर तक फिर दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा ।

काव्या अचानक से खड़ी होकर शालिनी के पास जाकर खड़ी हो गई और उसके कंधे पर हाथ रखा । शालिनी ने उसकी तरफ देखा तो उसने शालिनी की आँखों से बह रहे आँसुओं को अपने हाथ से पोंछ डाला । शालिनी अब काव्या से लिपटकर रोने लगी । थोड़ी देर रोकर अपना मन हल्का कर लेने के बाद शालिनी जब चुप हुई तो काव्या बोली, “मम्मी, मुझे भी आपके सामने कुछ स्वीकार करना है ।”

शालिनी काव्या के कहने का मतलब नहीं समझ पाई । उसने पूछा, “क्या कहना चाहती है ?”

काव्या वापस बैड पर आकर बैठ गई और कहने लगी, “मैंने आपसे झूठ बोला ।”

शालिनी काव्या के पास आकर बैठ गई और चौंककर बोली, “झूठ बोला ? कब ?”

काव्या ने आगे कहा, “हाँ मम्मी, कल रात में ऑफिस में नहीं बल्कि अनय के फ्लैट पर उसके साथ थी ।”

“क्या ?” शालिनी काव्या की बात सुनकर परेशान हो उठी ।

काव्या ने शालिनी के चेहरे पर छाई हुई परेशानी को महसूस किया और बोली, “एक्सीडेंटली हम दोनों के बीच बहुत कुछ होने जा रहा था । मैं और वो एक ही बैड पर थे लेकिन फिर आपका चेहरा मेरी आँखों के आगे आने पर मैं उठ खड़ी हुई और उसे रोक दिया ।”

शालिनी काव्या की बात सुनकर घबरा गई । कुछ देर तो वो काव्या के चेहरे को देखने लगी और फिर काव्या से पूछा, “तो तुम दोनों इस हद तक आगे बढ़ चुके हो ?”

काव्या अपनी मम्मी को ये सब कहते हुए बहुत ज्यादा शर्म महसूस कर रही थी लेकिन वो आज अपना मन शालिनी के सामने खोलकर रख देना चाहती थी । उसने शालिनी की बात का जवाब दिया, “नहीं । वो तो कल रात पहली बार ही अनय के साथ उसके फ्लैट पर गई थी । लेकिन फिर मेरे मना करने पर उसने मुझ पर कोई जोर जबरदस्ती नहीं की और चुपचाप मेरी बात मानकर मुझे घर छोड़ गया । मम्मी अनय बहुत अच्छा लड़का है, आप एक बार मिल तो लो उससे ?”

शालिनी ने काव्या की बात सुनकर उसकी पीठ पर हाथ फेरा और बोली, “काव्या, मैं नहीं चाहती मैं जो गलतियाँ अपनी जिंदगी में कर चुकी हूँ, तू भी उसका हिस्सा बने । जवान लड़कों के लिए प्यार एक फैंटेसी से ज्यादा कुछ नहीं होता । उन्हें तो केवल अपनी इच्छा पूरी करने के लिए एक ऐसी लड़की चाहिए होती है जो प्यार के नाम पर उनको अपना सबकुछ दे दे । अनय तुझे अगर सच में प्यार करता तो तुझे रात को अपने फ्लैट पर लेकर नहीं जाता ।”

अनय के बारें में शालिनी के मुँह से गलत बातें सुनकर काव्या ने शालिनी का हाथ पकड़ लिया और बोली, “अनय गलत नहीं है । कल रात उसके साथ उसके फ्लैट पर जाने का फैसला हम दोनों का ही था ।”

काव्या का जवाब सुनकर शालिनी और भी ज्यादा परेशान हो उठी । अब तक वो काव्या को अपने और मनीष के बीच रहे रिश्ते के बारें में पता चल जाने से शर्म और अपमान महसूस कर रही थी तो अब काव्या का रात को अनय के साथ उसके फ्लैट पर जाने की बात उसे परेशान कर रही थी । अपनी बेटी के सामने वो खुद गलत थी तो समझ नहीं पा रही थी उसे समझायें तो कैसे समझायें । कुछ सोचकर वो बोली, “जब तुम दोनों इतना आगे बढ़ ही चुके हो तो मैं क्या बोल सकती हूँ । तुझे अगर लगता है कि उसके साथ शादी करके तू खुश रह पाएगी तो मैं ना नहीं कहूँगी ।”

शालिनी का अनय और अपने बारें में थोड़ा सा सकारात्मक नजरिया पाकर काव्या खुश हो गई लेकिन फिर अगले ही पल वो बोली, “मम्मी, अनय शादी नहीं करना चाहता ।”
काव्या का जवाब शालिनी को परेशान कर देने वाला था । बात को समझने के लिए उसने पूछा, “तेरे कहने का मतलब क्या है ?”

“वो लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है ।” काव्या ने जवाब दिया ।

शालिनी के लिए काव्या का ये जवाब और ज्यादा चौंकाने वाला था । उसे लगा जैसे किसी ने उसके कानों में गर्म तेल डाल दिया हो । उसने घबराते हुए फिर से पूछा, “और तू ?”
काव्या एक प्यारा सा सपना देखते हुए बोली, “मेरी खुशी उसी के साथ है ।”

शालिनी अब बहुत ज्यादा हैरान हो गई । वो गुस्से से बोल उठी, “उसने तुझे मोम की गुड़ियाँ समझ रखा है क्या ? जी में आया तब तक खेल लिया और फिर फेंक दिया । तू पागल है क्या ? जब वो खुद ही कह रहा है कि वो तुझसे शादी नहीं करेगा तो उसके साथ संबंध बढ़ाने की क्या जरूरत है ?”

काव्या अब अपनी जगह से खड़ी हो गई और कुछ ऊँची आवाज में बोली, “मैं उसके बिना नहीं रह सकती । क्या फर्क पड़ता है अगर लिव इन रिलेशनशिप में ही हमें हमारी खुशियाँ मिल जाती है तो ?”

शालिनी के लिए अब काव्या को सहन करना मुश्किल हो रहा था । अब तक जो कुछ भी हुआ उसे भूलकर वो काव्या पर गुस्सा करने लगी, “तुझे पता भी है तू क्या बोल रही है ? शादी किए बिना किसी लड़के के साथ रहना कौन सी संस्कृति है ?”

शालिनी का सवाल सुनकर काव्या जोर से हँस दी और शालिनी को देखकर पूछने लगी, “ये आप मुझसे पूछ रही है मम्मी ? आपके और मनीष अंकल के बीच भी तो लिव इन रिलेशन ही है ।”

जवाब में शालिनी ने गुस्से से काव्या के गाल पर जोर का एक थप्पड़ लगा दिया । काव्या अपने गाल पर हाथ फेरते हुए दर्द से चीख उठी और शालिनी से गुस्से में आकर बोली, “क्या गलत कहा मैंने ?”

काव्या का सवाल सुनकर शालिनी का गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया । वो काव्या को से बोली, “मुझसे इस वक्त जबान मत लड़ा ।”

काव्या भी अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाई और जोर से बोली, “आपका सच मुझे पता चल गया इसलिए आपको बुरा लग गया ?”

काव्या का इस तरह का व्यवहार देखकर शालिनी का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था । उसने उसे देखा और बोली, “तुझे जो समझना हो समझ ले लेकिन एक बात कान खोलकर सुन ले अनय के साथ तेरे इस तरह के रिश्ते को मैं जीते जी स्वीकार नहीं कर पाऊँगी ।”

इस पर काव्या ने भी ऊँची आवाज में शालिनी को सुना दिया, “तो आप भी सुन लो, अनय के बिना मैं भी नहीं जी पाऊँगी।”

इस बार शालिनी ने काव्या की बात का कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप बैड रूम से बाहर निकल आई ।

शालिनी के जाते ही काव्या बैड पर गिर पड़ी और तकिये में मुँह छिपा कर सिसकियाँ लेने लगी । शालिनी बैड रूम से निकलकर सोफे पर आकर बैठ गई । काव्या की अभी कुछ देर पहले अपने और मनीष के बारें में कही बातें सुनकर उसे बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था । उसे लगने लगा जैसे उसने अपनी जिंदगी में की गई गलतियों की सजा उसकी बेटी को मिल रही है । गुस्से में आकर काव्या को थप्पड़ मार देने की गलती को महसूस कर उसकी आँखों से आँसू बहने लगे । उसने धीरे से अपने आँसू पोंछे और आँखें बंद कर सोफे पर ही लेट गई ।

काव्या ने अपनी मम्मी के बारें में एक कड़वे सच का पता चलने पर भी उसने उसे स्वीकार कर लिया था लेकिन फिर उनका अपने और अनय के रिश्ते को लेकर नकारात्मक बातें करना उसे बिल्कुल पसन्द नहीं आया । वो महसूस कर पा रही थी कि अभी कुछ देर पहले उसने ऊँची आवाज में जो कुछ मम्मी को कहा वो उसे नहीं कहना चाहिए था । वो अपने ही विचारों में खोई हुई थी कि उसके मोबाइल की रिंग बजने लगी । उसने बैड पर लेटे हुए ही हाथ बढ़ाकर बैड के पास रखी साइड टेबल पर से मोबाइल उठाया । मोबाइल की स्क्रीन पर अनय का नाम देखकर उसने मोबाइल तकिये के पास रख दिया । वो इस वक्त अनय से भी बात करने के मूड में नहीं थी इसलिए उसने अनय की कॉल नहीं ली । अनय ने थोड़ी देर बाद फिर से उसे कॉल किया तो उसने इस बार कॉल कनेक्ट किए बिना ही काट दी । अनय ने उसे फिर से दो तीन बार कॉल किया तो परेशान होकर उसने अपना मोबाइल ही बंद कर दिया ।

इसके बाद अगले चार – पाँच दिनों तक शालिनी और काव्या के बीच कोई बात नहीं हुई । दोनों एक ही छत के नीचे अपनी अपनी परेशानियों को लेकर जीती रही । काव्या शालिनी से कुछ कहना चाहती थी लेकिन कह नहीं पा रही थी और शालिनी जानबूझकर उसे नजरअंदाज कर रही थी ।

शेष अगले हफ्ते

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर.. भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी

Ashish Dalal3 years ago

शुक्रिया कमलेश जी

दादी की परी
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