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पॉजिटिविटी यानि सकारात्मकता एक सुंदर और सुखद शब्द है। हमें सदा सकारात्मक व्यवहार बनाए रखना चाहिए। नकारात्मक व्यक्ति, नकारात्मक बातें और नकारात्मक व्यवहार का हमेशा दुष्प्रभाव देखा गया है। परंतु इधर पिछले एक वर्ष से अधिक समय से, जब से कोरोनावायरस से हमारा पाला पड़ा है, पॉजिटिव शब्द के नाम से ही डर लगता है क्योंकि पॉजिटिव होना मतलब कोरोना की जद में आना।
लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि यह शब्द अपने उपयोगिता खो चुका है। आज के इस दुष्कर समय में हमें सकारात्मकता बनाए रखने की बहुत अधिक आवश्यकता है। जो मरीज़ अस्पताल में संघर्ष कर रहे हैं उन्हें स्वयं सकारात्मक रहने की आवश्यकता है। साथ ही चिकित्सा विभाग, सरकार, हर संबंधित विभाग को सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाने की आवश्यकता है।
देखा गया है कि जो रोगी सकारात्मक व्यवहार अपना रहे हैं वह जल्द ही स्वस्थ होकर घर वापस लौट रहे हैं। उनकी देखभाल करने वाले चिकित्सकों और परिवारी जनों का भी यही कर्तव्य बनता है कि कोई भी ऐसी बात ना करें जिससे उनका मनोबल टूटे। खुद भी हौसला रखना है और दूसरों का हौसला भी बढ़ाना है।
यह तय है कि दुख की काली रात कभी ना कभी अवश्य समाप्त होगी और सुख का सुनहरा सवेरा जागेगा। वर्तमान समय में चिकित्सकों के ऊपर भी भारी दबाव है अतः उनके साथ भी मरीजों के परिजनों को सकारात्मक रुख बनाना चाहिए। आज मरीजों से,उनके परिजनों से दवाओं, ऑक्सीजन, एंबुलेंस के बहुत अधिक पैसे वसूले जाने के मामले आए दिन प्रकाश में आ रही है जो बहुत ही अनुचित है। किसी भी व्यक्ति या संस्था को आपदा में अवसर की तलाश नहीं करनी चाहिए।
बच्चे, युवा, वृद्ध हर आयु वर्ग के लोग इतने लंबे समय से मनोवैज्ञानिक रूप से दबाव में आ चुके हैं। बेहतर यही होगा कि हम लोग मिलजुल कर एक दूसरे का सहारा बने। फोन के माध्यम से एक दूसरे का हालचाल जाने। कुछ सकारात्मक बातें करें। हमारी बातों में दिलासा हो, अभिलाषा हो, गुदगुदी हो, जिंदगी को और अधिक समझने की जीने की प्रबल चाह हो। यही आज के समय की आवश्यकता है। आज आंखें तो सभी की नम हैं, आइए इसी नमी से कुछ सकारात्मक का सोख लें। जैसे हीरा हीरे को काटता है उसी तरह हमारी सकारात्मक सोच ही वायरस की सकारात्मकता को दूर कर पाएगी।
अत्यंत सुन्दर और सारगर्भित..!
सादर धन्यवाद।
बहुत सुंदर पोस्ट आपने सभी के मन की बात कह दी।
धन्यवाद आपका।