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ग़म ना कर - Rashmi Sharma (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

ग़म ना कर

  • 218
  • 5 Min Read

ऐ दिल तू ग़म ना कर , हिम्मत का दामन थाम ले
ऐसा नही कुछ भी जगत में,जो अमर हो ,पहचान ले
हर रात काली कोख में ,धारण किये नव शिशु प्रभात
हर भोर में है अघोर की छाया, तनिक संज्ञान ले
हो भ्रमित तू कर्म पथ से ,वास्ता तो ना छोड दे
डर कर उम्मीदों का कहीं ,तू रास्ता तो न मोड़ दे
जो है अभी उलझा हुआ ,सुलझेगा इक दिन देख ले
कुछ थक चुका है तू जरा,रूक करके थोडा टेक ले
बेशक..दिखे रोड़े हजारों , राहों में बिखरे पड़े
तू धैर्य रख ओ वीर! ,तेरे साथ में कितने खड़े
चाहे तुम्हे राहों के रोड़े ,हाथ से चुनने पड़े
चाहें तुम्हे बन पुष्प, काँटो में सपन बुनने पड़े
चाहें तुम्हारे प्रिय तुमको, छोड़ कर है जा रहे
सुख - दुख में अपने ही रहेगे,इस सत्य को झुठला रहे
फिर भी मैं ये ही कहूँगी ,हम पास हों या दूर हों
सबकी दुआओं की असर से ,ये क्रूरता मजबूर हो
नयनो में बिखरेंगे पलट कर , स्वप्न सुन्दर जान लो
भागेगा डर कर ये कोरोना ,मान लो अब मान लो
रश्मि शर्मा

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Rashmi Sharma3 years ago

बहुत शुक्रिया

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर

Rashmi Sharma3 years ago

बहुत बहुत धन्यावाद 🙏🙏

प्रपोजल
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