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शौर्य गीत - Ruchika Rana (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

शौर्य गीत

  • 428
  • 3 Min Read

जवां सैनिक के शौर्य-गीत,
हवाएं जब गुनगुनाती हैं...
उन जवानों की बहादुरी के,
अनकहे किस्से सुनाती हैं!
नहीं है फिक्र उस को अपनी,
नहीं है गम जमाने का...
चढ़ा है बस फितूर,
दुश्मन से अपना वतन बचाने का!
लड़ सकता है, मर सकता है...
लेकिन झुक नहीं सकता,
चला है देश रक्षा को...जो काफिला,
रुक नहीं सकता!
लड़ रहा वो सरहद पर,
वतन की आन की खातिर...
कटा सकता है सिर भी अपना,
वतन की शान की खातिर!
गीत सुने बहुतेरे...
पर ऐसा गीत न कोई,
मेरे भारत के वीरों सा...
जहां में वीर न कोई!!

स्वरचित- रुचिका

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 4 years ago

बहुत बढ़िया

Ruchika Rana4 years ago

शुक्रिया 🙏

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

सुंदर

Ruchika Rana4 years ago

शुक्रिया 🙏

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

वाह मेरे भारत के वीर जैसा जहाँ में वीर न कोई 👌🏻

Ruchika Rana4 years ago

बहुत बहुत शुक्रिया नेहा जी 🙏

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