कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
हाशिए पर सैनिक ...
डटे रहो तुम वीर जवान
पीछे हम मां भारती के संतान
चाहे कितना भी हो अत्याचार
नहीं हो जाना तुम लाचार
रेत के उठते बवंडर में
नाव उलटी -हवा पलटी
वोट क्लब पर मांगते वोट
घड़ियाल ,घंटियां और उलटे थाल
मिली हमें जो स्वतंत्रता
कर न्योछावर तन और मन
खो सकते नहीं हम किसी कीमत
चाहे हो जाए पूरा जीवन अर्पण
सीमा वर्मा/ स्वरचित
Email _ seema.anjani07@gmail.com
वीर जवानों की कठिनाईयों का हम अनुमान ही लगा सकते हैं।
जी हार्दिक धन्यवाद वह भी जब सामना अपने देश के नागरिकों से हो तब और भी बुरा लगता है
bahut khub. picture aapne superb lagayi hai rachna par ekdam fit 👌🏻
जी सराहना हेतु हार्दिक धन्यवाद नेहा जी