कवितालयबद्ध कविता
ये बच्चे अच्छे होते हैं, ये मन के सच्चे होते हैं
दुनियादारी मालूम नहीं, ये इतने कच्चे होते हैं
ये बच्चे अच्छे होते हैं...
मन के भोले होते हैं, ये दिल मतवाले होते हैं
थोड़े से नटखट होते हैं, अमृत के प्याले होते हैं
ये बच्चे अच्छे होते हैं...
जब रोते हैं ये बच्चे, आँसू झरनों से बहाते हैं
पर रोशन जग हो जाता है, जब ये बच्चे मुस्काते हैं
ये बच्चे अच्छे होते हैं...
'टीचर' के 'टीचर' होते हैं,
ये देश के 'फ्यूचर' होते हैं,
ईश्वर का वरदान ये होते हैं,
टीचर की जान ये होते हैं
ये बच्चे अच्छे होते हैं...
दीपक जैसा होता है 'टीचर'
ज्योति उसकी ये होते हैं,
काँटों से निकलना सिखलाते इनको
फूलों के ये लच्छे होते हैं,
हाँ, ये बच्चे अच्छे होते हैं...
ये मन के सच्चे होते हैं...
अजय गोयल
मौलिक व अप्रकाशित रचना
गंगापुर सिटी (राजस्थान)