Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
धुंध * - Pallavi Rani (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

धुंध *

  • 231
  • 5 Min Read

धुंध *
*******

भारत के वीर सपूतों ने,
सर्वस्व स्वयं बलिदान किया ।
आने वाली पीढ़ी की आंखों में
नए भारत का आह्वान किया।

देश प्रेम मनोभाव पिरोकर ,
आजाद - पथ प्रदान किया
किन्तु कैसा प्रभंज मचा ।
आजाद देश के लोगों में
ये कैसी कुंठा छायी है !

ये कैसा है उन्माद छिड़ा,
घर का भेदी ही लंका ढांहे ।
कथन यूँ ही चरितार्थ हुआ
कटु बातों में समय बिताते हैं ।

नयी पीढ़ी कहलाने वाले,
देश का मान बढ़ाने वाले
यूँ कल्पनाओं में खोए दिखते हैं ।
डिजिटल दुनिया मे खोए इतने
सपने भी टूटे दिखते हैं ।

वो वीर सुरक्षा प्रहरी मेरा,
सीने पर गोली खाता है ।
माँ का सम्मान बचाने को
हँस चीरनिद्रा में सोता है ।

जागो मेरे बच्चों जागो,
भारत- मां तुम्हें बुलाती है ।
हैं धुंध पड़े उनको तोड़ो
वो विवश खड़ी माँ रोती है ।

अखंड रहे भारत मेरा
तुम भी अपने कर्त्तव्य निभाओ।
हृदय में ऐसा अलख जगाओ
वीर पुत्रों की धरती है ये
कण- कण में ये हुंकार बढ़ाओ।

©️पल्लवी रानी
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र

Screenshot_20210407-150552_Samsung-Internet_1617788670.jpg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

खूबसूरत रचना

Pallavi Rani3 years ago

आपका उत्साहवर्धन हमेशा मुझे आगे और अच्छा लिखने को प्रेरित करता है, हार्दिक आभार आदरणीय 🙏🙏

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बेहतरीन ❤️

Pallavi Rani3 years ago

आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी यूँ ही प्रेरित करती रहे, हार्दिक आभार 😊🙏❤

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg