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टिप टिप बरसे पानी - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

टिप टिप बरसे पानी

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  • 9 Min Read

* टिप टिप बरसे पानी *

दादा जी, " अरे भई, ये क्या हल्ला गुल्ला मचा रखा है। " मुन्नू पूछ बैठा , "दादा जी, ग्रहण उतर गया ना। दादी सबको नहाने का कह रही है कि सूर्य भगवान कष्ट में थे। वातावरण में बिना सूर्य के खराब गैस होती है।
पर ये सूर्य ग्रहण होता क्या है दादा जी ?"
" बच्चे, जब सूर्य व पृथ्वी के बीच तुम्हारे चँदा मामा आ जाते हैं तो दिन में भी अँधेरा सा हो जाता है। और ग्रहण लग जाता है।
तुम नहाए नहीं ?" दादा जी ने कहा।
मुन्नू बोला , " गीज़र खराब होने से गैस पर पानी गरम हो रहा है। देखता हूँ , हुआ कि नहीं।"
मुन्नू किचन से चिल्लाया, " दादा जी , जल्दी से इधर आइए। देखो ना इस ढक्कन वाली थाली पर ये बूंदे कैसे ?"
दादा जी, " ओहो यही तो कारण है, तुमने पूछा था ना कि बारिश कैसे होती है। सुनो, सागर नदियों का पानी सूर्य की गर्मी से गर्म हो जाता है। उससे भाप बनती है। भाप हल्की होकर ऊपर उठने लगती है। तुमने अभी अभी देखा ना, कैसे बर्तन
में उबलते पानी से भाप निकल ऊपर की ओर जाने लगती हैं। ढक्कन पर देखी ना पानी की बूंदे। हाँ तो खूब सारी भाप ऊपर जाती है तो ठंडी होकर जल की बूंदों में बदल जाती है। बड़ी बड़ी होकर वे बादल बन
जाती हैं। ये विभिन्न आकारों के बादल नटखट बच्चों की तरह खेलते कूदते हैं। और वे यहाँ वहाँ घुमड़ते हैं। कभी आपस में टकरा जाते हैं। या कभी राह में पर्वत आ जाता है। फ़िर पानी भरे मटकों की भांति फूट जाते हैं। बस फ़िर वे बरसने लगते हैं। "
मुन्नू खुश हो बोला , " हाँ हाँ , फ़िर कभी बूंदा बांदी तो कभी मूसलाधार बारिश होती है। अगर बहुत ठंडा हो तो पानी की बूंदे बर्फ़ की गोलियाँ बन ओले बरसने लगते हैं। "
दादा बोले, " वाह बेटा, सब पता है तुम्हें। "
"अच्छा तो ये इवोपोरेशन से होता है, मेम ने भी बताया था। कंडेनसेशन से ओले बन जाते हैं,क्या जादू है। ओह ! चलिए अब जल्दी से नहा लेते हैं वरना दादी के गुस्से की टिप टिप बरसात होने में देर नहीं लगेगी। "
सरला मेहता

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बढ़िया

सीमा वर्मा

सीमा वर्मा 3 years ago

अच्छी बाल कहानी

दादी की परी
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