कविताअतुकांत कविता
यह एक झिलमिलाती
सुबह है
फूलों की फसलों सी लहलहाती
कलियों के लशकारों सी मुस्काती
चांदनी के रंग बिखेरती
खुशबुओं के उपवनों सी
खिलखिलाती
हवाओं की शोखियों सी
डगमगाती
तुम्हारे कदमों की आहटों सी
भीतर आती
खोलो दरवाजा
न बाहर कहीं ठहरो
भीतर घर के अहाते में चले आओ
देखो घर का बाहरी आवरण
जब इतना खूबसूरत है तो
यह अंदर से कितना
सुसज्जित होगा
तुम्हें देख पुलकित होगा
उल्लासित होगा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001