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"एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे" - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

"एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे"

  • 219
  • 4 Min Read

शीर्षक : "एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे"

एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे
हो जाऊँ, मैं भी तुझ जैसी।

तू नटखट कान्हा, कृष्ण- कन्हैया
मैं नार, तनिक शर्मीली सी।।

खेल प्रीत की, मुझ संग होली
चला नयन, पिचकारी सी।

एक रंग प्रीत का, रंग दे मुझे
हो जाऊँ, मैं भी तुझ जैसी।।

तू रँगरेज प्रीत के रंगों का
मैं कोरी चुनरिया सारी सी।

एक रंग प्रीत का, रंग दे मुझे
हो जाऊँ, मैं भी तुझ जैसी।।

तू शब्दों का जादूगर है
मैं मौन कोई पहेली सी।

मैं ठहरी, सिमटी खुद में कहीं
तेरी बातें पिया, नदी सतरंगी सी।।

एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे
हो जाऊँ मैं भी तुझ जैसी।

तू नटखट कान्हा कृष्ण-कन्हैया
मैं नार तनिक शर्मिली सी।।

©✍🏻पूनम बागड़िया "पुनीत"
स्वरचित मौलिक रचना

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Meeta Joshi

Meeta Joshi 3 years ago

सुंदर शब्द संयोजन पूनम जी

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर 👌🏻

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

उत्तम

प्रपोजल
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