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अदृश्य सी कोई आस - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अदृश्य सी कोई आस

  • 224
  • 3 Min Read

गिटार बजाता है
एक गीत सुनाता है
दूर से आ रही है उसकी
आवाज
बड़े ही मनोयोग से
अपने पास बुलाता है कोई
एक आभास है
अदृश्य सी कोई आस है
भीनी भीनी फूलों की खुशबुओं का
संसार है
मेरे दिल की धड़कन में सांस
ले रही
उसकी हर सांस है
चलते रहें उसकी आवाज को
पहचानते
उसके पीछे पीछे
उसे पकड़ने के लिए
भंवरे सा होगा तो
उड़ेगा फूलों की
क्यारी क्यारी
तितली सा होगा तो
कभी तो हाथ आयेगा
बैठेगा फूलों पर
पल दो पल सुस्तायेगा
करेगा उनके पीठ की काया के स्पर्श की
सवारी।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

पाठक को अंत तक बांध रखा। बहुत खूब!

Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

उम्दा👌👌

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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