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सूरज - सोभित ठाकरे (Sahitya Arpan)

कविताबाल कवितालयबद्ध कविताबाल कविता

सूरज

  • 155
  • 2 Min Read

किरणों की वो पहने पगड़ी ,
चेहरे पर लेकर लाली तगड़ी ।
पूर्व  दिशा से पश्चिम को जाए ,
हर दिन गगन में फेरा लगाए ।
सारे जग के तिमिर को हरता ,
घर-घर में  उजियारा करता ।
रुकता नही , नित चलता रहता ,
हमें नियमबद्धता का पाठ कहता ।
नहीं करता भेद किसी से ,
समता की ये शिक्षा देता ।
रोज लेकर आता ये आस नई ,
भानु ,रवि , दिनकर ,भास्कर
सूरज  के हैं नाम कई ।

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Naresh Gurjar

Naresh Gurjar 3 years ago

bhut khub

प्रपोजल
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