कविताबाल कवितालयबद्ध कविताबाल कविता
किरणों की वो पहने पगड़ी ,
चेहरे पर लेकर लाली तगड़ी ।
पूर्व दिशा से पश्चिम को जाए ,
हर दिन गगन में फेरा लगाए ।
सारे जग के तिमिर को हरता ,
घर-घर में उजियारा करता ।
रुकता नही , नित चलता रहता ,
हमें नियमबद्धता का पाठ कहता ।
नहीं करता भेद किसी से ,
समता की ये शिक्षा देता ।
रोज लेकर आता ये आस नई ,
भानु ,रवि , दिनकर ,भास्कर
सूरज के हैं नाम कई ।