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भूली बिसरी यादें - Ritu Garg (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

भूली बिसरी यादें

  • 415
  • 4 Min Read

*भूली* *बिसरी* *यादें*

कुछ कुछ याद आता है,
कुछ कभी हम भूल जाते हैं।
भूली बिसरी यादों के सहारे,
हम सभी जिंदा रहते हैं।

कभी कांटों की चुभन सी है,
कभी फूलों की महक सी है।
भूली बिसरी यादें ही,
जिंदगी का सहारा भी है।

आकर हवा का झारोंखा,
कुछ याद दिलाता है।
मन में उठे सवालों के,
जवाब बनकर आता है।

सुखद सुहाना स्वप्न ,
आंखों से ओझल हो जाता है।
बीते हुए पलों को,
सहेज कर रख जाता है।

अनचाही असुलझी पहेलियों को,
और अधिक उलझाता जाता ।
हमारे सामने वह पल,
कड़वी मीठी यादें लेकर आता ।

अतीत के पन्नों को पढ़कर,
राहों पर आगे बढ़ना है।
भूली बिसरी यादों को,
हमें सहेज कर रखना है।

भूली बिसरी यादें ही
एकाकी पन का सहारा होती।
हमजोली जीवन की बनकर,
जीवन में सुर संगीत सजाती ।

ऋतु गर्ग
स्वरचित,मौलिक रचना
सिलिगुड़ी,पश्चिम बंगाल

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

खूबसूरत

Ritu Garg3 years ago

जी धन्यवाद

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