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उम्र के दायँरे - Champa Yadav (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

उम्र के दायँरे

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उम्र के दायरे

वो अल्हड़-सी जवानी
वो बेबाक -पन।
था जिसमें आसमां छूने की ख्वाहिशें!
ऐ दिल अभी थका नहीं तू
जीना है फिर से ।
क्या हुआ अगर उम्र बीत गई दिल तो अभी है जवां।

भला उम्र का दिल से क्या वास्ता।

वो छोटी- सी बेफिजूल की बातों में खिलखिला के हंस ना तेरा।
ऐ दिल जीवन में उमंग भर देना तेरा।

वो बेफिक्र अंदाज में सोचना तेरा।
वो सामाजिक परंपराएं, रूढ़िवादी विचारों को तोड़ने की जद्दोजहद में लग जाना तेरा।
है अभी- भी दिल अरमान बहुत संभाले।

ऐ दिल तू अभी थका नहीं है।
फिर से तुझे जीना है....
वही जोश रगों में भरे ।
कहेंगे कुछ लोग उम्र देखो और देखो इसका अल्हड़ पन।
पर ऐ दिल तू रुक मत ।
दिखा दे तू अभी थका नहीं है।
तुझ में अभी भी वही उमंग है जीने की !!
बस ऐ दिल तुझे उन परंपराओं की बेड़ियों को तोड़ना है ।
जो तुझे रोके हुए हैं उम्र के दायरों में.........!!!

@चम्पा यादव
19/08/20

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