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दहेज - Dipti Sharma (Sahitya Arpan)

कवितागीत

दहेज

  • 224
  • 4 Min Read

नमन माँ शारदे
नमन मंच
दिनांक--०४/०३/२०२१
विषय--#दहेज

मत दहेज लेना मत देना, सुन बाबुल मेरा कहना।
इस दहेज के कारण ही तो , पड़ता है इतना सहना।।

मत दहेज,,,,,,
इस दहेज, ,,,

जग ने क्यों ये रीत बनाई, जिससे वो खुद पछताई।
भेद करें निज सन्तानों में ,तनया पाती रुसवाई।।
बेटा पढ़कर बनता अफसर,कहते बिटिया मत पढ़ना।
गर पढ़-लिख जाती बेटी तो,फिर क्यूँ पड़ता चुप रहना।।

मत दहेज,,,
इस दहेज,,,,,

हाथ बटाती घर में माँ का,वह घर में ही रह जाती।
नित बस्ता लेकर कन्धे पर,कब विद्यालय जा पाती।।
फिर दहेज के कारण घर से,बाबुल ज्यादा मत चलना।
बन्द करो जग वालों अब तो, बच्चों में अन्तर करना।।।

मत दहेज लेना मत देना ,सुन बाबुल मेरा ये कहना।
इस दहेज के कारण ही तो, पड़ता है इतना सहना।।

दीप्ति शर्मा"दीप"
जटनी( उड़ीसा)
स्वरचित व मौलिक

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

आदरणीया आपकी रचना प्रतियोगिता में ऐड नही हुई है।

Dipti Sharma4 years ago

जी ठीक है

Ritu Garg

Ritu Garg 4 years ago

सुंदर अभिव्यक्ति

Dipti Sharma4 years ago

धन्यवाद आपका

Ritu Garg

Ritu Garg 4 years ago

सुंदर अभिव्यक्ति

Dipti Sharma4 years ago

बहुत बहुत धन्यवाद आपका

Champa Yadav

Champa Yadav 4 years ago

सुन्दर....👌

Dipti Sharma4 years ago

धन्यवाद आपका

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