कवितागीत
नमन माँ शारदे
नमन मंच
दिनांक--०४/०३/२०२१
विषय--#दहेज
मत दहेज लेना मत देना, सुन बाबुल मेरा कहना।
इस दहेज के कारण ही तो , पड़ता है इतना सहना।।
मत दहेज,,,,,,
इस दहेज, ,,,
जग ने क्यों ये रीत बनाई, जिससे वो खुद पछताई।
भेद करें निज सन्तानों में ,तनया पाती रुसवाई।।
बेटा पढ़कर बनता अफसर,कहते बिटिया मत पढ़ना।
गर पढ़-लिख जाती बेटी तो,फिर क्यूँ पड़ता चुप रहना।।
मत दहेज,,,
इस दहेज,,,,,
हाथ बटाती घर में माँ का,वह घर में ही रह जाती।
नित बस्ता लेकर कन्धे पर,कब विद्यालय जा पाती।।
फिर दहेज के कारण घर से,बाबुल ज्यादा मत चलना।
बन्द करो जग वालों अब तो, बच्चों में अन्तर करना।।।
मत दहेज लेना मत देना ,सुन बाबुल मेरा ये कहना।
इस दहेज के कारण ही तो, पड़ता है इतना सहना।।
दीप्ति शर्मा"दीप"
जटनी( उड़ीसा)
स्वरचित व मौलिक
आदरणीया आपकी रचना प्रतियोगिता में ऐड नही हुई है।
जी ठीक है