Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
माँ की एक अलग दुनिया हुआ करती है। - Gaurav Shukla (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

माँ की एक अलग दुनिया हुआ करती है।

  • 331
  • 4 Min Read

माँ - मेरी ख्वाहिशें पूरा करती है,
सुबह वो बोझ लिए सबसे पहले उठती है....
बिना किसी शिकायत के काम वो हफ़्ते-महीने करती है..
सुकून में भी वो सबके बारे में सोचती है...
माँ ....मां की एक अलग दुनिया हुआ करती है...

जहाँ दर्द को दिखा नहीं सकती,
दुःख को सुना नहीं सकती,
बस दूसरों के लिए दुआ किया करती है...
माँ ....मां की एक अलग दुनिया हुआ करती है...

क़िस्मत है उनकी जिनकी माँ हुआ करती है,
हुए दर्द ,तो वो अहसास हुआ करती है,
पुचकारने की दवा नहीं मिलेगी कहीं और,
जो पुचकार के सब दर्दों को मिटा दे,वो माँ हुआ करती है।
किसी के लिए दुनियां,किसी के लिए जान हुआ करती है,
किसी के लिए ख़ुद के पहले पहचान हुआ करती है,
कोई लाख कितना भी शौक़ पूरा कर ले चीज़ों से,
उनकी खुशियों का ठिकाना नहीं जिनके घर में मां हुआ करती है....
माँ ....मां की तो एक अलग ही दुनिया हुआ करती है...

✍️गौरव शुक्ला'अतुल'

IMG_20210309_140349_1615279049.jpg
user-image
शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 4 years ago

बहुत सुंदर

Gaurav Shukla4 years ago

आभार😊

Champa Yadav

Champa Yadav 4 years ago

अतिसुन्दर.... रचना।

Gaurav Shukla4 years ago

शुक्रिया

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg