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बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी - Bandana Singh (Sahitya Arpan)

कवितागीत

बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी

  • 310
  • 4 Min Read

बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
दिल में करे ये गजब बेक़रारी
मैं करता हूँ कुछ भी चाहे जहाँ भी
निगहबान होती हैं नजरें तुम्हारी
दिल में करे ये बहुत बेकरारी।

हम अपने दम पे जिन्दा ही कब थे
आखों का तेरे इनायत हुआ जो
कंपित अधर ये शब्द लड़खड़ाये
जीवन की धारा मुझमें बहाये।
बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
दिल में करे ये बहुत बेकरारी।

तेरे पलके नखरे उठाती हैं यूं तो
ऊपर से हमको गिराती हैं यूं तो
मगर क्या कहें है जरूरत तुम्हारी
बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
दिल में करे ये बहुत बेकरारी।

कि आजा तेरी आंखे चूम लूं मैं
बिना कुछ पिये ही जरा झूम लूं मैं
सागर सी गहरी बड़ी भोली-भाली
बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
दिल में करे ये बहुत बेकरारी।

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

वाह

Bandana Singh3 years ago

जी आभार आदरणीया

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

वाह

Bandana Singh3 years ago

बहुत बहुत आभार आपका

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