कवितानज़्म
छलकते ज़ज्बात
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नायक👇
हुआ दिल बेकरार ..आज यार.. क्या कीजे ।
खो गया है करार जाने-बहार क्या कीजे ।। ...२
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तन्हा-तन्हा थी शाम अब हसीन लगती है
वो भी मेरी तरह ही बेकरार लगती है.....लगती है
अब नहीं खुद पे रहा इख्तियार..क्या कीजे.।
खो गया है क़रार जाने- बहार क्या कीजे। ।
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उसकी चूड़ी मेरे कानों में यूँ खनकती है
खनक आवाज की उसकी,
मेरे धड़कन तलक पहुंचती है....पहुंचती है
बढ़ती जाये है मिलन की प्यास..क्या कीजे ।
खो गया है क़रार जाने- बहार.. क्या कीजे ।।
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नायिका 👇🏻
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जिंदगी ख्वाब नए हर घड़ी बुनती है
आरज़ू इस कदर दिल में रंग भरती है ..भरती है..
मचल उठे हैं ज़ज्बात आज.क्या कीजे ।
खो गया है क़रार जाने- बहार क्या कीजे ।।
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नींद आँखों में नहीं ,रात आहें भरती है
जुस्तजू उसकी दिल मे यूँ सुलगती है ..सुलगती है...
अब तो हर लम्हा बस उसी के ख्वाब क्या कीजे।
खो गया है क़रार जाने- बहार..क्या कीजे ।। ..2
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पल्लवी रानी
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र