कविताअतुकांत कविता
तेरी आंखों में काजल
मेरी आंखों में सूरमा
है रोशनी में
एक अंधकार की लकीर सा पर
रात में
दिखे तेरे हुस्न के
नजारे सा
चांद चांदनी से
मिल पाता है
रात के अंधेरे में ही
यह तेरी आंखों के काजल में
मेरी आंखों के झांकते सूरमे की
रात
कितनी सुहानी होती है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001