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तुझे मजबूत बनना होगा - Ritu Garg (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

तुझे मजबूत बनना होगा

  • 267
  • 4 Min Read

*दहेज*
तुझे मजबूत बनना होगा
कुरीतियों से लड़ना होगा।

कोख में ही पाठ पढ़ाया
बलिवेदी पर नहीं चढ़ाना होगा
संयम शील आचरण कर
कुठाराघातों से बचना होगा
तुझे मज़बूत बनना होगा।

निर्मोही अहंकारियों के बीच
तुझे पलना बढ़ना होगा
कदम संभाल कर रखना होगा
आत्मविश्वास से बढ़ना होगा
तुझे मज़बूत बनना होगा।

संसार में आकर तुम्हें
खुली आंखों से जगत देखना होगा
दुनियादारी की चकाचौंध से बचना होगा
कसौटी पर खरा उतरना होगा
तुझे मजबूत बनना होगा।

स्वपन स्नेहिल सजाकर
आंखों से ममत बरसा कर
गमों की परछाइयों से बचा कर
तुझे संभल कर चलना होगा
तुझे मजबूत बनना होगा।

जीवन के झंझावतों से टकराकर
तुझेआगे बढ़ते रहना होगा
दहेज की कुरीतियों से टकराकर
नवयुग का निर्माण करना होगा
तुझे मजबूत बनना होगा।

ऋतु गर्ग
स्वरचित,मौलिक रचना
सिलिगुड़ी, पश्चिम बंगाल

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SHRUTI GARG

SHRUTI GARG 3 years ago

Bohot Khub

Ritu Garg3 years ago

धन्यवाद जी

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर रचना

Ritu Garg3 years ago

जी धन्यवाद

प्रपोजल
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