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हमसफ़र/दोस्त - Rajeev Kapil (Sahitya Arpan)

कवितागीत

हमसफ़र/दोस्त

  • 193
  • 4 Min Read

अधूरी कहानी भाग2 प्रतियोगिता
गीत
दोस्त तुम हो मेरे ये बताओ मुझे,
बीच मझधार में छोड़ दोगे नहीं?
मैं तुम्हारा, तुम्हारा रहूंगा सदा,
ये वचन मुझसे लेलो, लेलो कहीं।

मैं तो सीता बनी हूं तुम्हारे लिए,
संग संग वन चली हूं तुम्हारे लिए,
दंश जग के सही हूं तुम्हारे लिए,
अग्नि में भी जली हूं तुम्हारे लिए,
कर लो वादा की वनवास दोगे नहीं-2
बीच मझधार में छोड़ दोगे नहीं?-2
दोस्त तुम हो मेरे यह...............

मेरे जीवन की हर स्वांस में तुम ही हो,
मेरे गीतों की झंकार में तुम ही हो,
मेरे दिन और मेरी रात में तुम ही हो,
मेरी निंदिया मेरे ख्वाब में तुम ही हो,
तुम नहीं जिस जगह वो जगह ही नहीं-2
ये वचन मुझसे लेलो लेलो कहीं।।

दोस्त तुम हो मेरे ये बताओ मुझे,
बीच मझधार में छोड़ दोगे नहीं?
मैं तुम्हारा तुम्हारा रहूंगा सदा,
ये वचन मुझसे लेलो लेलो कहीं।।

राजीव कपिल ,रुड़की(उत्तराखण्ड)

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jyoti batra

jyoti batra 4 years ago

बहुत खूब

jyoti batra

jyoti batra 4 years ago

बहुत खूब

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 4 years ago

सुंदर रचना

Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 4 years ago

बहुत खूबसूरत 👌👌

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बेहतरीन 👌🏻

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