कवितानज़्म
मृगनैनी सी तेरी नयना
कुमकुम की लाल बिंदी
रेशम सी काली जुल्फे
ये बलखाती तेरी अदाये
चाँद सी मुख मंडल से
बिखेरती सुंदर सी आभा
मोहनी सी शोभित छवि
प्रेम की मधुरस बूंदों से
हिय की प्यास बुझाई
हर शिकवा ए शिकायत
तुम्हारी अदा पे भुलाया
करूं ऐसा क्या शिकायत
हर शिकायत पे मुस्कुराई
तुम्हारी मुस्कान चेहरे को
दिलो ए जान से सजाया
तेरी हर एक अदा पे अब
अपनी बेरुखी को भुलाया
@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'
गिरिडीह (झारखण्ड)
📲 7979718193
'मृगनैनी सी तेरी नयन' या मृगनैनी से तेरी नयन?
मृगनैनी सी तेरी नयन अर्थात मृग जैसी आंखें