कवितागीत
कल्पनाओं में दोनों (नीरव एवं गुँजन) एक दूजे के साथ एक दूजे के लिए गाते हुए.....!!
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#मुखड़ा (दोनों एक साथ)
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है गीत ये मिलन का, गाओ मुझे सुनाओ|
चितचोर दिल लगाकर, यूँ दूर अब न जाओ||
#अंतरा
तेरे लिए सजी हूँ, मनमीत मै बता दूँ|
जो भूल तुम गये हो, चल याद मैं करा दूँ||
दृग से मुझे गिराकर, यूँ दूर तुम न जाओ|
है गीत ये मिलन का, गाओ मुझे सुनाओ|| (गुँजन)
चक्षु में तुम बसे हो, कैसे तुझे दिखाऊँ|
जो रूठ तुम गये हो, आओ तुझे मनाऊँ||
दिलदार आज आकर, अब अंग तो लगाओ|
है गीत ये मिलन का, गाओ मुझे सुनाओ|| (नीरव)
है रास्ते कठिन अब बिन तेरे जिन्दगानी|
जो आये न सजन जी, बनकर रहूँ कहानी||
हे! प्रीत तुम हृदय में, आकर विराज जाओ|
है गीत ये मिलन का, गाओ मुझे सुनाओ|| (गुँजन)
जबसे मिली हो सजनी, न नींद है न चैना|
बिताऊँ बोल कैसे, न बीतती है रैना||
मैं बन गया हूँ जोगी,आकर लगन लगाओ|
है गीत ये मिलन का, गाओ मुझे सुनाओ|| (नीरव)
मकरंद भर गया है, हर अंग में हमारे|
भ्रमर बनो जी आओ, मकरंद के सहारे||
मैं रागिनी बनी हूँँ, तुम गीत आज गाओ|
है गीत ये मिलन का, गाओ मुझे सुनाओ| (गुँजन)
चितचोर दिल लगाकर, यूँ दूर अब न जाओ|
है गीत ये मिलन का, गाओ मुझे सुनाओ|| 【 दोनों साथ में】
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स्वरचित, स्वप्रमाणित
✍️पं.संजीव शुक्ल 'सचिन'
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार।।
बहुत खूबसूरत गीत..!👌👍
सादर आभार वंदन आद.