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भ्रम का टूट जाना ही अच्छा था
तेरा मुझसे रूठ जाना ही अच्छा था।
काश ख़बर होती कि अंजाम यूँ होगा
तो दिल को कहीं और लगाते,
कम से कम यूँ सताए तो ना जाते !
यूँ रुलाए तो ना जाते !
बात बे बात तड़पाए तो ना जाते।
तेरी बेरुख़ी
रुसबाई बन कर के
यूँ तो सीने में ना चुभती।
जैसे मानो जिस्म जाँ से जुदा हो चुका हो
देखते ही देखते वो ख़ुदा से बेवफ़ा हो चुका था
यूँ तो इश्क़ में मूबतिला होना ही अच्छा था
कुछ इस तरह तेरा जाना ही अच्छा था
हाँ,
मेरा टूट कर बिखड़ जाना ही अच्छा था।
Afrin ❤️
आपकी रचना में इतने सारे genre कैसे हो सकते हैं? कृपया genre का चुनाव सही से करें।