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Mera bharam - Afrin Uddin (Sahitya Arpan)

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Mera bharam

  • 197
  • 3 Min Read

भ्रम का टूट जाना ही अच्छा था
तेरा मुझसे रूठ जाना ही अच्छा था।
काश ख़बर होती कि अंजाम यूँ होगा
तो दिल को कहीं और लगाते,
कम से कम यूँ सताए तो ना जाते !
यूँ रुलाए तो ना जाते !
बात बे बात तड़पाए तो ना जाते।
तेरी बेरुख़ी
रुसबाई बन कर के
यूँ तो सीने में ना चुभती।
जैसे मानो जिस्म जाँ से जुदा हो चुका हो
देखते ही देखते वो ख़ुदा से बेवफ़ा हो चुका था
यूँ तो इश्क़ में मूबतिला होना ही अच्छा था
कुछ इस तरह तेरा जाना ही अच्छा था
हाँ,
मेरा टूट कर बिखड़ जाना ही अच्छा था।
Afrin ❤️

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Rajjansaral

Rajjansaral 1 year ago

वाह क्या बात है

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

वाह वाह

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

सर आप रचना के लिए केवल दो genre रख सकते हैं

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

रचना बेहद भावपूर्ण बहुत सुंदर है।

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

आपकी रचना में इतने सारे genre कैसे हो सकते हैं? कृपया genre का चुनाव सही से करें।

Chaudhary Saurabh

Chaudhary Saurabh 4 years ago

Dil k awaz..nice..

प्रपोजल
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