कविताअन्य
वर्ण पिरामिड
दहेज
ये
प्रथा
दहेज
अपराधी
हों शर्मसार
माने कन्यादान
धरा का महादान।
क्या
अच्छा
दहेज
है गारंटी
बेटी का सुख?
पढ़ाओ-लिखाओ
आत्मनिर्भर बनें।
हो
अंत
दहेज
कुरीति का
खुशहाल है
वह परिवार
बेटी है अभिमान।
हो
रिश्ता
पवित्र
परिणय
मन से मन
का मिलन न
हो दहेज दानव।