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वापस - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

वापस

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तुम देखते हो ना व्यस्तता भरी जिंदगी।
भाग रही है, दौड़ रही है अपनों से अपनो को हराने के लिये।
तुम भी बिल्कुल ऐसे ही होगये हो,
जिसे बिल्कुल वक़्त नही निगाह उठाकर देखने के लिये भी।
पीछे छुटे हुए लम्हों को एक बार फिर से जीने के लिये।
अच्छा सुनो तन्हा न हो जाना इस भाग दौड़ में।
कहीं फिर हम इतने पीछे न रह जाएं कि तुम आवाज भी दो।
और हम लौटकर वापस आ भी न पाएं। - नेहा शर्मा

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

वाह , सुंदर

Rajesh Kr. verma Mridul

Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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आप क्यूँ हैं उनके बिना नाखुश
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