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श्रद्धेय निराला जी - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

श्रद्धेय निराला जी

  • 155
  • 3 Min Read

श्रद्ध्येय निराला जी को समर्पित

भारत को आलोकित करने
उदय हुआ इक सूर्य निराला
कई नजदीकी उनके रिश्तेदार
एक एक करके उन्हें छोड़ गए
दुःख निराशा की कुछायाएं
काव्य में समाके साकार हुई
छायावादी महेश वे कहलाए
व भावों को अभिव्यक्त किए
इस युग के बने थे गोरखनाथ
भाई ने थामे महादेवी के हाथ
महाप्राण ओढरधानी कहलाए
छंदमुक्त काव्य के अगुवा बने
पथ पर नारी तोड़ती पत्थर है
कभी कांपते दोनों पाँव उसके
अणिमा अपरा बेला व अर्चना
परिमल आराधना अनामिका
नए पत्ते सी भावपूर्ण रचनाएँ
वर मांगा माँ वीणावादिनी से
काव्याकाशे इंद्रधनुषी रंग भरे
सरला मेहता
इंदौर
मौलिक

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

निराला जी के व्यक्तित्व पर.. सुन्दर रचना..!

Rajesh Kr. verma Mridul

Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

वाह वाह सुंदर रचना।

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

👌🏻 यदि सम्भव हो तो निराला जी की फ़ोटो जरूर लगाइएगा रचना के साथ

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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