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अपना वह घर पुराना... - Rajesh Kr. verma Mridul (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अपना वह घर पुराना...

  • 776
  • 4 Min Read

चित्राक्षरी काव्य रचना
फरवरी - 2021
[रचना]
अपना वह घर पुराना..
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बीता हुआ वह जमाना,
जब कभी याद आता है,
मिट्टी का अपना वह घर,
पुराना बहुत याद आता है।

पिता से मिलता सिक्का,
अम्मा से मिला जेब खर्चे,
एक-आध रुपये पाने का,
जहो जहद‌ याद आता है।

बचपन में लड़ना झगड़ना,
रूठकर आंगन में बैठ जाना,
शाम होते ही वो सब कुछ,
भूल जाना भी याद आता है।

दादा की पुरानी साईकिल ,
गली में सुबह शाम चलाना ,
दादी का गुस्से से चिल्लाना,
यह भी बहुत याद आता है।

घर के सामने की अध खुली,
खिड़की से झाकना अभी भी,
वहाँ पर छिप कर किसी का,
मुस्कुराना बहुत याद आता है।

उससे मिलने का वो बहाना,
न मिलना,फिर कभी, कहना!
जरा सी बात पर खूब हँसना,
बहुत सी पुरानी बातें याद आता है।

@©✍️ राजेश कु० वर्मा'मृदुल'
गिरिडीह (झारखण्ड)
📲 - 7979718193

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Babita Kumari

Babita Kumari 3 years ago

सुन्दर भाव भरी रचना ।

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

जी, सादर आभार आदरणीया।

Krishnkant Verma

Krishnkant Verma 3 years ago

🥰❣️🥰

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

💐💐

Krishnkant Verma

Krishnkant Verma 3 years ago

सुंदर रचना 👍🏻

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

धन्यवाद

के . मौर्या

के . मौर्या 3 years ago

बचपन की यादों का बेहतरीन काव्य संयोजन

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

जी बिल्कुल

Naresh Gurjar

Naresh Gurjar 3 years ago

बेहद खूबसूरत

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

सादर धन्यवाद महोदय! आपकी सराहना हमारी लेखनी को बल देती है

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत ही प्यारी सी रचना 👌🏻

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

आपकी टिप्पणी एवं सराहना सदैव बना रहे।

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