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तुम होते तो बात ओर होती - Bhawna Sagar Batra (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

तुम होते तो बात ओर होती

  • 193
  • 4 Min Read

* तुम होेते तो बात ओर होती *

अब भी हंसती हूँ अब भी रोती हूँ,
जो पल साथ बिताए,उन्हें ही याद करके जीती हूँ
काश वक्त/हालातों को हमसे हुई कोई नाराज़गी न होती
खुशियाँ आज भी है मेरे आस पास,
मगर तुम होते तो बात ओर होती ।

तेरा मुझसे बिल्कुल विपरीत होना,
विपरीत होकर भी सिर्फ एक दूसरे का होना ।
रिश्ता जुड़ना ,अपना बनाना मगर नसमझी दोनों की,
काश जिंदगी में आई वो काली रात न होती ।
आँसू छुपा तो लेती हूँ आज भी,
मगर तुम होते तो बात ओर होती ।

जिंदगी ने बहुत से सवाल खड़े कर दिए,
स्वाभिमान को अपने मारने की काश बात न होती,
और आत्मसम्मान के लिए मेरे खड़े होते तुम,
तो मन में दबी दर्द भरी कोई साँस न होती ।
तुम अपने मेरे आज भी हो ,
मगर तुम साथ होते तो बात ओर होती ।

©भावना
फरीदाबाद,हरियाणाा

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भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश

भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश 4 years ago

बहुत अच्छी कविता बधाई हो।

Bhawna Sagar Batra4 years ago

जी शुक्रिया

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

वाह क्या बात है

Bhawna Sagar Batra4 years ago

जी शुक्रिया

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

sach me bahut sundar bhaav tum hote to aur baat hoti bahut aham baat hai ye

Bhawna Sagar Batra4 years ago

शुक्रिया दीदी

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