कविताअन्य
* तुम होेते तो बात ओर होती *
अब भी हंसती हूँ अब भी रोती हूँ,
जो पल साथ बिताए,उन्हें ही याद करके जीती हूँ
काश वक्त/हालातों को हमसे हुई कोई नाराज़गी न होती
खुशियाँ आज भी है मेरे आस पास,
मगर तुम होते तो बात ओर होती ।
तेरा मुझसे बिल्कुल विपरीत होना,
विपरीत होकर भी सिर्फ एक दूसरे का होना ।
रिश्ता जुड़ना ,अपना बनाना मगर नसमझी दोनों की,
काश जिंदगी में आई वो काली रात न होती ।
आँसू छुपा तो लेती हूँ आज भी,
मगर तुम होते तो बात ओर होती ।
जिंदगी ने बहुत से सवाल खड़े कर दिए,
स्वाभिमान को अपने मारने की काश बात न होती,
और आत्मसम्मान के लिए मेरे खड़े होते तुम,
तो मन में दबी दर्द भरी कोई साँस न होती ।
तुम अपने मेरे आज भी हो ,
मगर तुम साथ होते तो बात ओर होती ।
©भावना
फरीदाबाद,हरियाणाा
बहुत अच्छी कविता बधाई हो।
जी शुक्रिया
sach me bahut sundar bhaav tum hote to aur baat hoti bahut aham baat hai ye
शुक्रिया दीदी