कविताअतुकांत कविता
पहला चुम्बन
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माँ तुमसे अच्छा,
स्नेह की चुम्बन,
कौन कर सकता।
एहसास का होना ही,
सांसों से धड़कन को ,
चुम्बन कर जाती है!
अपने गर्भ से ही ,
बार-बार मुझे चुम्ब कर,
प्रेम वत्सल को दर्शाती है!
मेरा पहला चुम्बन
इस संसार में,
तुम्हारा ही तो था।
जन्म लेते ही तु ,
अपनी सारी दर्द,
भूल कर चुम्मी थी।
वो तेरी प्रथम चुम्बन,
रक्षा कवच बनकर,
जीवन को सँवारती है।
माँ तुमसे अच्छा चुंबन,
इस सारे जगत पर,
किसी का न हो सकती है.......
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@©✍️ राजेश कु० वर्मा' मृदुल'
गिरिडीह (झारखण्ड)
📲 7979718193
आपकी सराहना ही हमारी लेखनी को शक्ति प्रदान करती है आशा है आप लोग ऐसे ही हौसला अफजाई करते रहेंगे
बहुत ही प्यारी सी रचना
आभार आदरणीया।