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वीणावादिनी - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

वीणावादिनी

  • 219
  • 3 Min Read

वीणावादिनी

वीणावादिनी, हंसवाहिनी
ये तुम्हारे ही तो नाम हैं
विद्या की देवी हे सरस्वती
तुम्हें हम सभी का प्रमाण है।

तुम सहज सम्भाव हो
तुम सृजन और काव्य हो
तुम विश्व वीणावादिनी
हम छंद और विराम हैं।

तुमसे ही लय, तुम ही ताल हो
तुम सुर और स्वर संघात हो
तुम निखिल ब्रह्म निनादिनी
तुममें ही सब निष्काम हैं।

विद्या की देवी है विश्व की
विद्या की देवी है वरदायिनी
तुम्हें हम सभी का प्रणाम है.....।

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

प्रणाम मां सरस्वती जी को, बहुत अच्छी रचना

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

naman maa saraswati ko 🙏🏻

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