Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
हिसाब * - Pallavi Rani (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविताअन्य

हिसाब *

  • 239
  • 3 Min Read

हिसाब
❤❤❤
अपनी मसरूफियत से दो पल निकाल ,
वो बैठा जो मेरे पास ।
अपनी ही उलझनो मे खोया था इस कदर
लिए हिसाब की किताब ।
कर ही बैठा मुझसे भी वो,
हँसकर ही एक सवाल ।
सुनो जांना,तुम भी कुछ हिसाब दो
बचाया होगा तुमने भी कुछ ,
तुम्हारे हिसाब की भी किताब दो।
मेरी जुबां खामोश रही ,
आँखे हो उठी कुछ नम।
एक दर्द सा उठा दिल में,
जो टटोला हमने खुद को तो
हिसाब इतना ही मिला ।
प्यार के सिवा मेरी ,
बचत मे कुछ बचा नहीं।
तुम खोये रहे हो हर लम्हा,
ख्वाहिशों के हिसाब में।
मैने मेरे प्यार का कभी ,
हिसाब ही रखा नहीं।।

©️®️पल्लवी रानी❤
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्यान, महाराष्ट्र

inbound5878671900215986434_1612692412.jpg
user-image
Naresh Gurjar

Naresh Gurjar 3 years ago

बहुत खूब

Pallavi Rani3 years ago

धन्यवाद 🙏

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत ही सुंदर👌🏻

Pallavi Rani3 years ago

बहुत आभार 🙏

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg