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चेहरा - Yasmeen 1877 (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

चेहरा

  • 144
  • 4 Min Read

# चेहरा

अक्सर एक सवाल उठता है कि क्यों होता है ऐसा?
कभी इंसानों के चेहरे,कभी चेहरों के पीछे इंसान बदल जाते हैं।

जो दिखते हैं मासूम चेहरे ,वो मौक़े पे फिर जाते हैं,
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा, वो बदले नज़र आते हैं।

चेहरे से होती नहीं पहचान किसी शख़्सियत की ,
अक्सर बदल जाता है हालातो संग चेहरे का रंग ।

देकर वक़्त की दुहाई ,वादों से जो मुकर जाते हैं,
कितने खुदगर्ज़ हैं वो जो वक़्त के साथ बदल जाते हैं ।

हैं ऐसे भी किरदार जहाँ में जिनके चेहरे कठोर लगते हैं,
मगर अपनी हस्ती मिटा दूसरों के लिए पैग़ाम दे जाते हैं ।

ये सच ही है कि दिल की कहानी चेहरे पे पढ़ी नहीं जाती,
फक़त चेहरे को समझ लेने भर से सच्चाई समझ नहीं आती । ।

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Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 3 years ago

शानदार

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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