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माँ/ बेटी - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कवितादोहा

माँ/ बेटी

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माँ/बेटी

माँ होती है जगत में, ममता महिमा खान।
आओ मिलकर हम करें, माता का गुणगान।। 1

माँ बनती है बेटियाँ, करती जग विस्तार।
ढ़ोती हैं परिवार का, तन्मय होकर भार।। 2

माँ जैसा कोई नहीं, लक्ष्मी दुर्गा शक्ति।
करना सबको चाहिए, अपनी माँ की भक्ति।। 3

त्याग समर्पण मूर्ति है, माता बड़ी महान।
मिल जाता सबकुछ यहाँ, माता नहीं जहान।। 4

माँ की महिमा बांचते, सारे ग्रंथ पुराण।
माँ की सेवा में निहित, बच्चों का कल्याण।। 5

माँ सहती हर वेदना, करती सेवा धर्म।
बच्चों थोड़ा सा करो, तुम भी अपना कर्म।। 6

जिस घर में होता सुनो, बेटी का सम्मान।
करते सच में देवता, उस घर का गुणगान।।7

चूम रही हैं बेटियाँ, आज शीर्ष आकाश।
इनसे जग में हो रहा, नूतन अमल प्रकाश।। 8

सीने से अपने लगा, करती लाड- दुलार ।
माँ जिसके है पास में, उसके पास बहार। 9

कैसी भी हो परिस्थिति, माँ का रखना मान।
बढ़ जायेगा मानिए, इससे जग सम्मान।। 10

डाॅ. राजेन्द्र सिंह 'राही'

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

नमन शत शत बार

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

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