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सुकून - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

सुकून

  • 244
  • 3 Min Read

सुनो
बड़े इतराते हो
दौलत का धमण्ड
बड़ा दिखाते हो
भरपूर सुख सुविधाओं
में जीवन व्यतीत करते हो
लेकिन इन सुख सुविधा से
आराम तुम्हें मिल जाता होगा
लेकिन सुकून कहा मिल पाता होगा
कभी चोरी,कभी टैक्स का डर
तो तुम्हें सताता होगा।
रातों की नींद ,दिन का चैन
सब छीन जाता होगा।

सुनो
मैं मजदूर हूँ
माना आराम की ज़िंदगी से
कोसो दूर हूँ।
बस इतना ही कमाता हूँ
सुकून से दो वक्त की रोटी
में ही खुश रहता हूँ।
ना मुझे चोरी का डर
ना कोई टेक्स का
डर सताता हैं।
बस जिंदगी
में सुकून ही सुकून
नजर आता हैं।
सुख सुविधाए जिंदगी
का सुकून छीन लेतीहैं
मैं खुश हूँ कि मैं सुकून में हूँ।

ममता गुप्ता

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

अद्भुत

Mamta Gupta4 years ago

जी धन्यवाद

प्रपोजल
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