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उम्र का सौदा - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

उम्र का सौदा

  • 241
  • 2 Min Read

*उम्र का सौदा*

मैं उम्रदराज़ नहीं हूँ
उम्र को दराज़ में ही रख
आईं
सूरज की किरणों से
लाली उषा की उधार ले
आईं
बगिया की कलियों से
खुशबू मेरी मुठ्ठियों में भर
लाई
तितलियों के पंखों से
इंद्रधनुषी रंग पल्लू में भर
लाई
नदियों की कलकल से
सप्तसुरों को शब्दों में भर
लाई
बारिशी टपटप बूँदों से
उमंगें सारी ख़्वाबों में भर
लाई
खिलखिलाते बच्चों से
बचपन का झट सौदा कर
आई
सरला मेहता

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत सुंदर।

Maniben Dwivedi

Maniben Dwivedi 3 years ago

वाह वाह वाह

Maniben Dwivedi

Maniben Dwivedi 3 years ago

वाह वाह वाह

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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