कविताअतुकांत कविता
सुबह थमी तो फिर
दोपहर में चली सर्द हवाएं
यादें थमी तो फिर
महकने लगी फिजाएं
ऐसे में कैसे तुम्हें भुला दूं
तुम्ही बताओ?
मूंगफली, गजक, बादाम,
प्याली भर चाय
तुम्हारे बिन सर्दी में
लगते सब अधूरे हैं
कैसे संभालूं दिल को
इस ठिठुरन में
तुम्ही बताओ?
रजाई, कंबल, गद्दे ,तकिए
अंगीठी में जलती आग
मानो सब चिढ़ाते हैं
कहां से लाऊं
एहसासों की गर्माहट
तुम्ही बताओ?
*अंजनी त्रिपाठी*
गोरखपुर