Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मौन - Somya tiwari (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मौन

  • 221
  • 3 Min Read

मौन हो तुम
तुम व्यक्त नहीं करते स्वयं को
तुमने सीखा हैं सदा ही
वेदनाओ पर मुस्कुराना
तुम सह लेते हो चुपचाप ही
मन कि पीड़ा को
तुमसे मिल के ये तो मुझे समझ आ ही गया कि
किसी के अस्तित्व को कभी परखा नहीं जा सकता
किन्तु,लिखा जा सकता हैं
उसके विचारों को
और ये जो तुम्हारे हृदय कि अभिव्यक्ति होती हैं
सदा मौन धारण किए रहने वाली....
उसे भी अब से मैं ही व्यक्त करूंगी,
अपनी बोली,या तुमसे संवाद कर के नहीं,अपितु
अपितु अपनी लेखनी के माध्यम से

Somya Tiwari

IMG_20201231_220459_080_1610435498.jpg
user-image
Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

सुंदर अभिव्यक्ति

Gita Parihar

Gita Parihar 4 years ago

वाह, सुंदर अभिव्यक्ति है।

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत सुंदर रचना

Somya tiwari

Somya tiwari 4 years ago

अगर आपको पसंद आए तो लाइक करे

नेहा शर्मा4 years ago

जी लिंक शेयर कर लीजिए आपकी रचना का

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg