कविताअन्य
कभी कभी अपनों को समझाना मुश्किल हो जाता है,
अपना हाल बता पाना मुश्किल हो जाता है ।
दिल दुखाना मकसद नहीं होता कभी किसी का,
फिर भी चंद अल्फाज़ों की चोट से,कोई अपना रूठ जाता है ।
दिल में इज़्जत भी होती है प्यार भी होता है,
समझ कम पढ़ती है थोड़ी और रिश्ता टूट जाता है ।
कभी कभी अपनों को समझाना मुश्किल हो जाता है,
अपना हाल बता पाना मुश्किल हो जाता है ।
यकीनन तुम कल भी मेरी अपनी थी और
आज भी मेरी अपनी हो और कल भी मेरी अपनी रहोगी ।
नाराज़ होकर बैठ जाने से नाता टूट जाता है ।
किस स्थिति में क्या कहा होगा,
जब ठन्डे दिमाग से सोचा तो दिल दोनोंं का दुखा होगा ।
क्योंकि तुमसा अपना न कोई था ,न कोई है
और न ही कोई होगा ।
जब हर मोड़ पर डाँट कर ,या प्यार से समझाती थी तुम
तुमने क्यों उस पल मुझे अकेला छोड़ा होगा ।
कभी कभी अपनों को समझाना मुश्किल हो जाता है,
अपना हाल बता पाना मुश्किल हो जाता है ।
मैं नहीं जानती कि तुम अब भी पढ़ती हो मुझे कि नहीं,
मगर इतना ज़रूर जानती हुँ ,कि मेरी तरह ख्याल
तुम्हें भी मेरा आया होगा ।
ज़्यादा कुछ कहने को अल्फाज़ नहीं है मेरे पास ,
तुमने मुझे गलत समझा या मैंने तुम्हेेंं था गलत वो एहसास ।
और जब कोई समझाए और समझ न आए तो रिश्ते की बजाए
गलती को भुलाना ही शायद सही होगा ।
©भावना सागर बत्रा
फरीदाबाद हरियाणा