कवितालयबद्ध कविता
अलविदा २०२०
जैसा इसका नाम
वैसी ही रही टीस
दे गया घाव कई
अलविदा 2020।
अपनों की अबोल दुश्वारियां
लोगों के दुखों की क्यारियाँ
देकर बलाएँ जीवन रहा घिस
अलविदा संघर्षों भरा २०२०।
जीवन आनी जानी है
माना की तुफानी है
पर इसमें ठहराव जरा
लगता मनमानी है।
करोना का जंग है
इंसानियत भी दंग है
ना कोई संग है,
दे गया यह सीख।
अलविदा 2020।
अपनों से अपनों की दूरियां
मजबूरों की मजबूरियाँ
आखों से होते ओझल सपनें
ये कैसी अजब दुनियां।
तरक्की की राहों पर
भौतिकता की चाहों पर
हमको कहाँ तक ले आया
जो यह समय रहा बीत।
अलविदा 2020।