कवितालयबद्ध कविता
अलविदा अलविदा अब हमने तुमसे कह दिया ...
ना आना फिर लौटकर 2020 तूने सब बदल दिया ...
सब अनजान थे , झूमते गाते रहते हर पल ...
नही थी कोई खबर कैसा होगा आने वाला कल ...
दौड़ रही थी ज़िंदगी सभी की मौज मस्ती में ...
कोविड ने आकर ब्रेक लगाया लोगों की बस्ती में ...
अचानक मानो ज़िन्दगी रुक सी गई थी ...
लगभग सभी की सांसें अटक ही गई थी ...
वक़्त और प्रकृति ने कुछ अपना रास्ता यूँ मोड़ा ...
इंसान को मुँह तक दिखाने लायक नही छोड़ा ...
नई उम्मीदों की जगह डर की भाषा समझ आने लगी ...
खुशियां भी धीरे धीरे गमो में तब्दील होने लगी ...
कैद हो गए सारे अपने ही घरों में ...
न जाने फंस गए किस पाप के घरों में ...
चारो तरफ़ सन्नाटा फैलने लगा ...
इंसान ही इंसान से दूर भागने लगा ...
पल पल सांसे छोड़ते देखा है नन्ही जानों को ...
कोई कसर नही छोड़ी तूने दिल दुखाने को ...
इंसान की इंसानियत को मरते देखा है ...
एक एक निवाले के लिए भूखे बच्चों को देखा है ...
बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर गया ...
पूरे वर्ष की मेहनत पर आसानी से पानी फेर गया ...
न जाने कितने ही घर बेघर हो गए ...
मजदूर बेचारे ठोकर खाने को मजबूर हो गए ...
तूने हमारी दुनिया मे एक अहम किरदार निभाया है ...
असली महाराजा प्रकृति है ये बखूबी सिखाया है ...
अलविदा अलविदा , अब हमने तुमसे कह दिया ...
ना आना फिर लौटकर तूने सब बदल दिया ...
ममता गुप्ता✍️