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चाँद सा मुखड़ा - कुलदीप दहिया मरजाणा दीप (Sahitya Arpan)

कवितागजल

चाँद सा मुखड़ा

  • 180
  • 3 Min Read

चाँद सा मुखड़ा.......


भोर के अलसाये पहर में
सुनहरा कोई ख़्वाब सा,

****
ओस की बूँदों में ज्यों
भीगा कोई ग़ुलाब सा,
****
सिमटा हो ज्यों सारी क़ायनात का यौवन
कलि पे यूँ सैलाब सा,
****
हुस्न भी शरमा जाए
उजला-उजला लाजवाब सा,
****
अहसास के मोती लपेटे चहुँ ओर
आसना से सराबोर बेहिसाब सा,
****
सज़दे में झुक जाए हर सै
वो मुखड़ा है महताब सा....!!
****
कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बढ़िया

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

जी शुक्रिया

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

ह्रदयतल से आभार नेहा जी

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

जी शुक्रिया

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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