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एक कप काफी और तुम - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

एक कप काफी और तुम

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  • 5 Min Read

एक कप काफी और तुम
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अरे लोग हंसने लगे कि इस शीर्षक पर तुम कुछ लिख ही नहीं सकती । मैने भी सोचा क्यों काफी बेचारी इतनी बेकार है । अरे किसी को पता नहीं समय के साथ सब बदलता है । वह दिन चले गये कि गाया जाये कि इसी लिये मम्मी ने तुम्हें चाय पर बुलाया है।
हां तो मै लिख रही थी कि तुमसे मेरा मिलना इस काफी के कारण ही हुआ ।ये काफी का कप हमारे मिलन का सेतु है। तुम एक रिपोर्टर हो रिपोर्टिंग कर रहे थे । जिस बिषय पर गोष्टी चल रही थी वह था " बढते
तलाक " । तुम अचानक मेरी ओर आये इस पर कुछ शब्द बोलिये मैं सकपका गयी । मैने कहा शादी दो पवित्र आत्माओं का मिलन है पर आज इसके अर्थ बदल रहे
हैं । बढते तलाक का मुख्य कारण है दोनों का एक दूसरे का ना समझना कोई झुकने को तैयार नहीं होता ना पत्नी झुकती ना वह झुकता । तुमने पूछा आप सामंजस्य बिठा लेंगी पहले मै तुम्हें देखती रही फिर मैने कहा कोशिश करूगी कि अपने साथ उसको भी मेरे साथ देना पड़े । तुमने कहा आज शाम को मेरे साथ काफी पियो और आज तक उस दिन के बाद शाम को तुम्हारे साथ काफी ही पीती हूँ यह है हम दोनों का सामंजस्य ।
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत खूबसूरत..! भावपूर्ण

Madhu Andhiwal3 years ago

Thanks

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

अच्छी प्रस्तुति

Madhu Andhiwal3 years ago

Thanks

दादी की परी
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