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तुम्हारा अहसास..... - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

तुम्हारा अहसास.....

  • 194
  • 2 Min Read

तुम्हारा अहसास.....
मेरे मन मस्तिष्क में
आज तक अंकित है
तुमसे प्रथम मिलन की छवि
मुझको
अहसास कराती है
तुम्हारा
आसपास होने का
तुम्हारा यही अहसास
गर्मी की रातों में सुहानी पुरवाई
और जाड़े के दिनों में
मखमली धूप सा लगता है....
अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर रचना

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

सर आपका अंदाज़ दिलचस्प है। मैं आपकी और कविताओं को पढ़ना चाहूंगा

अजय मौर्य ‘बाबू’3 years ago

जरूर, जल्द ही कुछ और रचनाएं पढ़िएगा....

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