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वापसी - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

वापसी

  • 253
  • 3 Min Read

#वापसी

कदम रखे है दुनिया में तूने मुठ्ठी बांधकर ...
तेरी वापसी होगी खाली हाथ पसार कर ...

क्यों जोड़ रहा है तन मन निचोड़ कर माया ...
क्यों सजा रहा बनावटी ढंग से सुंदर काया ...

इस धरा का इस धरा पर धरा का धरा रह जाना है ...
माटी का यह तन , एकदिन माटी में मिल जाना है ...

लड़ झगड़कर क्यों आपसी रिश्तों को खराब करता है
प्रेम कर ,क्यों नफरत कर वापसी के रास्ते बंद करता हैं

क्यो करता है ये मेरा वो मेरा , बता क्या है यहां तेरा ...
जीते जी रिश्ते है सिर्फ मरने पर कौन तेरा कौन मेरा ...

रंग रूप धन ऐश्वर्य सब कुछ दुनिया का एक बड़ा छल है
वापसी का रास्ता ' मोक्ष ' ही जीवन का एकमात्र कल है

ममता गुप्ता✍️

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

जीवन की एक कटु वास्तविकता..!!

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