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नित अधर लाली लगाना छोड़ दो - विमल शर्मा 'विमल' (Sahitya Arpan)

कवितागजल

नित अधर लाली लगाना छोड़ दो

  • 561
  • 3 Min Read

प्रेम तुम इतना लुटाना छोड़ दो।
स्वप्न में आकर सताना छोड़ दो।


एक तो घायल तुम्हें हूँ देखकर,
और उस पर मुस्कुराना छोड़ दो।

बिजलियाँ दिल पर गिराते हैं नयन,
लाज से इनको झुकाना छोड़ दो।

हैं मुझे पागल बनाती पायलें,
इस तरह इनको बजाना छोड़ दो।

केश छिटके चूमते हैं गाल को,
तर्जनी इन पर फिराना छोड़ दो।

छल रही है प्रिय मुझे यह लालिमा,
नित अधर लाली लगाना छोड़ दो।

-विमल शर्मा'विमल'
©सर्वाधिकार सुरक्षित

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत खूब!

विमल शर्मा 'विमल'3 years ago

जी हृदयतल से अमित आभार आपका

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

वाह बहुत सुंदर

विमल शर्मा 'विमल'3 years ago

जी हृदयतल से अमित आभार आपका

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

विमल शर्मा 'विमल'3 years ago

जी हृदयतल से अमित आभार आपका

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