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आखिरी मोड की तरफ - Comrade Pandit (Sahitya Arpan)

कवितागजल

आखिरी मोड की तरफ

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  • 2 Min Read

ग़ज़ल के कुछ अश'आर -

अब उम्र के शालीन किस्से पढ रहा हूं दोस्तों
मैं मौत की तरफ सही से बढ रहा हूं दोस्तो

क्या उम्र पूरी हो गई या हिज्र का है ये असर
सूखे हुए पत्तो के जैसे झड रहा हूं दोस्तों

बारात आये गांव में अच्छा नही लगता मुझे
बारातियों से ख़ामखा ही लड रहा हूं दोस्तों


उसको लगा 'पंडित' सही से कर रहा होगा फेरे
मैं तो ग़ल़त किताब में से पढ़ रहा हूं दोस्तों
©Comrade Pandit

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Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

बहुत खूब नितिन जी..!? नितिन लास्ट लाइन में थोड़ा फेर बदल होना चाहिये ऐसा मुझे लगता हैं.... बाकी बहुत ही बेहतरीन लिखा आपने..!?

Comrade Pandit3 years ago

इनबॉक्स में सुझाव भेजे जी??

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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माँ
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तन्हाई
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