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रेड लाइट एरिया - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

रेड लाइट एरिया

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  • 6 Min Read

रेड लाइट एरिया
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कोरोना महामारी ने जैसे सब कुछ थाम लिया हो । अमीर तो पैसेे से सब चीज खरीद रहा है पर वह अमीर कहां गये जो रात के अंधेरे में उनको खरीदते थे । सुप्रिया बालकानी में आधी लटकी हुई सिगरेट हाथ में लिय हुये सोच रही
थी । कहां से सारी नगर वधू अपने बच्चों का और अपना पेट भरे ‌। वह अपनी मां को कहां से दवा के लिये पैसा भेजे । मां तो समझती है कि उसकी बेटी एक बड़ी कम्पनी में बम्बई अधिकारी है। उस बेचारी को क्या पता कि उसकी लाडली खूबसूरत बेटी इस महानगर के धनी परिवारों के बिगड़े हुये नवाब जादों के दिल की रानी और बिस्तर की शोभा है।
सुप्रिया बालकानी में खड़ी रेड लाइट एरिया का सन्नाटा देख रही थी । रात का ये समय जो लाइट से जगमगाता था , घुघंरुओ की झंकार और गजरों से महकता था। दूर दूर तक एक परिन्दा नजर नहीं आ रहा था । आज उसकी सारी सहेलियां धुंआ उड़ाती वीरान सड़कों को निहार रही थी । कमला बाई अपने कमरे
में शोचनीय अवस्था में बैठी थी । कैसे सबको संभाले उसका कोठा वीरान था । कहां से इन्तजाम करे । अब तो सबने अपने रेट भी कम कर दिये पर कोरोना के चलते सबने दूरी बना ली ‌।
कल तक जो बाजार चलता ही नहीं दौड़ता था ।आज सब थम गया है ।
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बढ़िया लघुकथा

Madhu Andhiwal3 years ago

Thanks

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

मर्मस्पर्शी..! करोना महामारी ने हर वर्ग को प्रभावित किया है. समाज के एक उपेक्षित वर्ग की वेदना...!

Madhu Andhiwal3 years ago

Thanks

दादी की परी
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