कहानीप्रेरणादायकलघुकथा
प्यार एक कसक
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अनुभा दौड़ती आई और माधवी से लिपट कर बड़े लाड़ से बोली मां गोद में लिटाओ ना । माधवी को तो ऐसा लगा कि पूरा संसार उसकी मुट्ठी में है। जब अनुभा दो साल की थी तभी उसकी माँ का देहान्त हो गया । डा.जय बहुत बड़े सर्जन थे माधवी से उनकी मुलाकात एक सम्मान समारोह में हुई परिचय हुआ मुलाकाते हुई ।
डा.जय ने देखा इतनी शिक्षित महिला बहुत चुप और उदास रहती है । पता लगाया तब मालूम हुआ वह अकेली हैं। उसका पति बहुत नामी उधोगपति था । वह अपने पति से बहुत प्यार करती थी और उनके लिये अनुभा मात्र एक खिलौना थी। शादी करने के बाद एक बेटा हुआ। बस पति का रंग ढंग बदल गया । उनके सम्बंध एक किसी अन्य स्त्री से हो गये। वह उसको अपने घर ले आये । माधवी के विरोध करने पर बेटे को अपने पास रख कर तलाक दे दिया।
डा.जय ने माधवी से बात करी और उसको समझाया कि जिन्दगी बहुत बड़ी है यदि तुम चाहो तो मेरी अनुभा की मां बन सकती हो । बहुत सोच समझ कर माधवी ने हां करदी । आज तक अनुभा को पता भी नहीं था कि माधवी उसकी माँ नहीं है ।अनुभा माधवी बहुत प्यार करती थी। वह अपनी पिछली जिन्दगी भूल चुकी थी ।
आज जब अनुभा इस तरह लिपटी तो उसने पूछा क्या कुछ चाहिए जो मां की गोद का सहारा ले रही हो ।अनुभा बोली मां पापा से कहो ना आयुष के पापा से एक बार मिल लें । माधवी ने डा.जय से कहा और आयुष के पापा से मिलने का समय लिया । आज माधवी, डा.जय और अनुभा आयुष के यहाँ गये। उनकी नयी कोठी और स्तर देखकर माधवी थोड़ी घबराई पर डा.जय भी नामी सर्जन थे । जैसे ही आयुष अपने पापा के साथ आया और उसने कहा ये अनुभा के पापा हैं और ये मां। वह बेहोश होने से बची वह सोच भी नहीं सकती थी कि ये आयुष उसका बेटा है क्योंकि सामने उसके पति खडे़ थे। बेटे के लिये एक कसक उसके दिल में उठी । आयुष के पापा भी अपनी गलती पर शर्मिन्दा थे । वह कुछ सोच नहीं पारही थी । माधवी ने अनुभा से घर चलने को कहा और घर आकर सत्यता बता दी। अनुभा ने कहा मां मैं आपको दुखी नहीं कर सकती और अब तो ये रिश्ता ही बदल गया। अनुभा ने ये प्यार की कसक दिल में ही दफना दी।
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल