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मेरी डायरी - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

मेरी डायरी

  • 221
  • 4 Min Read

मेरी डायरी

छुपा रखी है दिल के महफूज़ कोने में कही ...
जहा कभी किसी वो डायरी दिखे ही नही ...

मन कि आवाज़ कहने को जब बेकरार होती हूँ ...
मैं दुनिया से गुम हो कर सिर्फ डायरी के पास होती हूँ ...

दुख दर्द इश्क़ से भरी मेरी हर पल की है कहानियां जिसमे ...
खुशी के हर पल से ले कर नम आंखों तक ख्वाब संजोए है जिसमे ...

दुनिया के बोझ तले अपनी नादानियों को डायरी में संभाल रखा है ...
अपनी ज़िंदगी का हर गहरा राज़ इसी डायरी में छूपा रखा है ...

इस डायरी के पन्नो पन्नों में मेरी आत्मा समाई है ...
बेरंग शब्दों पर अश्रुओं की स्याही लगाई है ...

रोजमर्रा की जिंदगी तो हर पल बस घना अंधेरा छाया है ...
इस अंधेरी दुनिया में सिर्फ मेरी डायरी का उजाला पाया है ...

ममता गुप्ता

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

लाजवाब

Bnl Das

Bnl Das 3 years ago

बहुत ही सुंदर कविता । वाह

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर

प्रपोजल
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