कवितालयबद्ध कविता
मेरी डायरी
छुपा रखी है दिल के महफूज़ कोने में कही ...
जहा कभी किसी वो डायरी दिखे ही नही ...
मन कि आवाज़ कहने को जब बेकरार होती हूँ ...
मैं दुनिया से गुम हो कर सिर्फ डायरी के पास होती हूँ ...
दुख दर्द इश्क़ से भरी मेरी हर पल की है कहानियां जिसमे ...
खुशी के हर पल से ले कर नम आंखों तक ख्वाब संजोए है जिसमे ...
दुनिया के बोझ तले अपनी नादानियों को डायरी में संभाल रखा है ...
अपनी ज़िंदगी का हर गहरा राज़ इसी डायरी में छूपा रखा है ...
इस डायरी के पन्नो पन्नों में मेरी आत्मा समाई है ...
बेरंग शब्दों पर अश्रुओं की स्याही लगाई है ...
रोजमर्रा की जिंदगी तो हर पल बस घना अंधेरा छाया है ...
इस अंधेरी दुनिया में सिर्फ मेरी डायरी का उजाला पाया है ...
ममता गुप्ता